प्यारी गौरैया मेरी पहली कविता है जो गौरैया की कहनी के रूप में है।
कभी पेड़ों पर चहकती थी
कभी आंगन में फूदकती थी !
सिर्फ यादो के झरोखो से
मधुर संगीत सुनती थी!!
अब तो प्यारी वो यादें हैं
जो बस अवशेष रह गयी है!
ना वो मुंडेर रह गया है
ना वो आंगन रह गयी है !!
माँ ने गुड़िया को सुनायी
एक गोरैये की कहानी है!
केसी होती है गोरैयाँ
जो गाती गीत सुहानी है!
गुड़िया मुस्काकर बोली
माँ गोरैयाँ तो दिखलाओ!!
कहानी की जो वास्तविकता है
उसको तुम बतलाओ!!
गुड़िया के प्रश्नो पर
माँ का दर्द छलक आया!
माँ ने गुड़िया को खेतों में
लगा टावर है दिखलाया!!
बेठा है इसमे एक
वो कृतिम दरिंदा !
जिसने छिना है हमसे
हमारा प्यारा परिंदा!!
अगर गौरेये को बचना है !
तो इस दरिंदे को मिटाना है !!
वरना केवल कहानी में
रह जाएगीं ये गौरेया!
तब गुड़िया की सवालो का
केसे उत्तर देगी ये दुनिया!!
कभी पेड़ों पर चहकती थी
कभी आंगन में फूदकती थी !
सिर्फ यादो के झरोखो से
मधुर संगीत सुनती थी!!