गज़ल की 32 बहरें और उनके उदहारण
32 Bahar of Ghazal with examples
ग़ज़ल काव्य की वो विधा जिसे हम संगीत मे ढाल सकते हैं। ग़ज़ल का शाब्दिक अर्थ चाहे कुछ भी हो अन्य विधाओं कि तरह ये भी काव्य की एक विधा है। हमारा सारा काव्य शब्द से बना है और शब्द से जो ध्वनि पैदा होती है उस से बना है संगीत हम यह कह सकते हैं कि काव्य से संगीत और संगीत से काव्य पैदा हुआ, दोनों एक दुसरे के पूरक हैं. काव्य के बिना संगीत और संगीत के बिना काव्य के कल्पना नही कर सकते।
वर्ण वह ध्वनि हैं जो किसी शब्द को बोलने में एक समय मे हमारे मुँह से निकलती है और ध्वनियाँ केवल दो ही तरह की होती हैं या तो लघु या दीर्घ।
वर्ण वह ध्वनि हैं जो किसी शब्द को बोलने में एक समय मे हमारे मुँह से निकलती है और ध्वनियाँ केवल दो ही तरह की होती हैं या तो लघु या दीर्घ।
1. बहरे कामिल मुसम्मन सालिम
मुतफ़ाइलुन मुतफ़ाइलुन मुतफ़ाइलुन मुतफ़ाइलुन
11212 11212 11212 11212
2. बहरे खफ़ीफ मुसद्दस मख़बून
3. बहरे मज़ारिअ मुसम्मन मक्फ़ूफ़ मक्फ़ूफ़ मुख़न्नक मक़्सूरम
4. बहरे मुजतस मुसमन मख़बून महज़ूफ
5. बहरे मज़ारिअ मुसमन अख़रब मकफूफ़ मकफूफ़ महज़ूफ़म
6. बहरे मुतकारिब मुसद्दस सालिम
7. बहरे मुतकारिब मुसमन सालिम
8. बहरे मुतक़ारिब मुसम्मन मक़्सूर
9. बहरे मुतदारिक मुसद्दस सालिम
ये चमन ही अपना वुजूद है इसे छोड़ने की भी सोच मतनहीं तो बताएँगे कल को क्या यहाँ गुल न थे कि महक न थी.....
2. बहरे खफ़ीफ मुसद्दस मख़बून
फ़ाइलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन
2122 1212 22
प्या ‘स’ को प्या ‘र’ करना था केवलएक अक्षर बदल न पाये हम....
3. बहरे मज़ारिअ मुसम्मन मक्फ़ूफ़ मक्फ़ूफ़ मुख़न्नक मक़्सूरम
फ़ऊल फ़ाइलातुन मफ़ऊल फ़ाइलातुन
221 2122 221 2122
जब जामवन्त गरजा, हनुमत में जोश जागाहमको जगाने वाला, लोरी सुना रहा है ...
4. बहरे मुजतस मुसमन मख़बून महज़ूफ
मुफ़ाइलुन फ़यलातुन मुफ़ाइलुन फ़ेलुन
1212 1122 1212 22
भुला दिया है जो तूने तो कुछ मलाल नहींकई दिनों से मुझे भी तेरा ख़याल नहीं....
5. बहरे मज़ारिअ मुसमन अख़रब मकफूफ़ मकफूफ़ महज़ूफ़म
फ़ऊल फ़ाइलात मुफ़ाईलु फ़ाइलुन
221 2121 1221 212 क़िस्मत को ये मिला तो मशक़्क़त को वो मिलाइस को मिला ख़ज़ाना उसे चाभियाँ मिलीं ....
6. बहरे मुतकारिब मुसद्दस सालिम
फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन
122 122 122
कहानी बड़ी मुख़्तसर हैकोई सीप कोई गुहर है...
7. बहरे मुतकारिब मुसमन सालिम
फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन
122 122 122 122वो जिन की नज़र में है ख़्वाबेतरक़्क़ीअभी से ही बच्चों को पी. सी. दिला दें....
8. बहरे मुतक़ारिब मुसम्मन मक़्सूर
फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़ऊलुन फ़अल
122 122 122 12
इबादत की किश्तें चुकाते रहोकिराये पे है रूह की रौशनी....
9. बहरे मुतदारिक मुसद्दस सालिम
फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन
212 212 212
सीढ़ियों पर बिछी है हयातऐ ख़ुशी! हौले-हौले उतर....
10. बहरे मुतदारिक मुसम्मन अहज़ज़ु आख़िर
10. बहरे मुतदारिक मुसम्मन अहज़ज़ु आख़िर
फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ा
212 212 212 2
अब उभर आयेगी उस की सूरतबेकली रंग भरने लगी है....
11. बहरे मुतदारिक मुसम्मन सालिम
12. बहरे रजज़ मख़बून मरफ़ू’ मुख़ल्ला
11. बहरे मुतदारिक मुसम्मन सालिम
फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ाइलुन
212 212 212 212
जब छिड़ी तज़रूबे और डिग्री में जंग कामयाबी बगल झाँकती रह गयी....
12. बहरे रजज़ मख़बून मरफ़ू’ मुख़ल्ला
मुफ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ऊलुन मुफ़ाइलुन फ़ाइलुन फ़ऊलुन
1212 212 122 1212 212 22
बड़ी सयानी है यार क़िस्मत, सभी की बज़्में सजा रही है किसी को जलवे दिखा रही है कहीं जुनूँ आजमा रही है....
13. बहरे रजज़ मुरब्बा सालिम
14. बहरे रजज़ मुसद्दस मख़बून
13. बहरे रजज़ मुरब्बा सालिम
मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन
2212 2212
ये नस्ले-नौ है साहिबोअम्बर से लायेगी नदी..
14. बहरे रजज़ मुसद्दस मख़बून
मुस्तफ़इलुन मुफ़ाइलुन
2212 1212
क्या आप भी ज़हीन थे? आ जाइये – क़तार में...
15. बहरे रजज़ मुसद्दस सालिम
15. बहरे रजज़ मुसद्दस सालिम
मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन
2212 2212 2212
16. बहरे रजज़ मुसम्मन सालिम
17. बहरे रमल मुरब्बा सालिम
मैं वो नदी हूँ थम गया जिस का बहावअब क्या करूँ क़िस्मत में कंकर भी नहीं...
16. बहरे रजज़ मुसम्मन सालिम
मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन मुस्तफ़इलुन
2212 2212 2212 2212
उस पीर को परबत हुये काफ़ी ज़माना हो गया उस पीर को फिर से नयी इक तरजुमानी चाहिये...
17. बहरे रमल मुरब्बा सालिम
फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन
18. बहरे रमल मुसद्दस मख़बून मुसककन
2122 2122
मौत से मिल लो, नहीं तो उम्र भर पीछा करेगी....
18. बहरे रमल मुसद्दस मख़बून मुसककन
फ़ाइलातुन फ़यलातुन फ़ेलुन2122 1122 22
19. बहरे रमल मुसद्दस महज़ूफ़
20. बहरे रमल मुसद्दस सालिम
सनसनीखेज़ हुआ चाहती है तिश्नगी तेज़ हुआ चाहती है...
19. बहरे रमल मुसद्दस महज़ूफ़
फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन
2122 2122 212
अजनबी हरगिज़ न थे हम शह्र में आप ने कुछ देर से जाना हमें...
20. बहरे रमल मुसद्दस सालिम
फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन
2122 2122 2122
21. बहरे रमल मुसमन महज़ूफ़
ये अँधेरे ढूँढ ही लेते हैं मुझ को इन की आँखों में ग़ज़ब की रौशनी है ....
21. बहरे रमल मुसमन महज़ूफ़
फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलुन
2122 2122 21222 212
22. बहरे रमल मुसम्मन मख़बून महज़ूफ़
वह्म चुक जाते हैं तब जा कर उभरते हैं यक़ीन इब्तिदाएँ चाहिये तो इन्तिहाएँ ढूँढना ....
22. बहरे रमल मुसम्मन मख़बून महज़ूफ़
फ़ाइलातुन फ़यलातुन फ़यलातुन फ़ेलुन
2122 1122 1122 22
गोया चूमा हो तसल्ली ने हरिक चहरे कोउस के दरबार में साकार मुहब्बत देखी....
23. बहरे रमल मुसम्मन मशकूल सालिम मज़ाइफ़ [दोगुन]
23. बहरे रमल मुसम्मन मशकूल सालिम मज़ाइफ़ [दोगुन]
फ़यलात फ़ाइलातुन फ़यलात फ़ाइलातुन
1121 2122 1121 2122
वो जो शब जवाँ थी हमसे उसे माँग ला दुबारा उसी रात की क़सम है वही गीत गा दुबारा....
24. बहरे रमल मुसम्मन सालिम
24. बहरे रमल मुसम्मन सालिम
फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन फ़ाइलातुन
2122 2122 2122 2122
कल अचानक नींद जो टूटी तो मैं क्या देखता हूँ चाँद की शह पर कई तारे शरारत कर रहे हैं ...
25. बहरे हज़ज मुसद्दस महजूफ़
25. बहरे हज़ज मुसद्दस महजूफ़
मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन फ़ऊलुन
1222 1222 122
हवा के साथ उड़ कर भी मिला क्या किसी तिनके से आलम सर हुआ क्या....
26. बहरे हज़ज मुसद्दस सालिम
26. बहरे हज़ज मुसद्दस सालिम
मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन
1222 1222 1222
हरिक तकलीफ़ को आँसू नहीं मिलतेग़मों का भी मुक़द्दर होता है साहब....
27. बहरे हजज़ मुसमन अख़रब मक्फ़ूफ मक्फ़ूफ मक्फ़ूफ महज़ूफ़
27. बहरे हजज़ मुसमन अख़रब मक्फ़ूफ मक्फ़ूफ मक्फ़ूफ महज़ूफ़
मफ़ऊल मुफ़ाईल मुफ़ाईल फ़ऊलुन
221 1221 1221 122
आवारा कहा जायेगा दुनिया में हरिक सम्तसँभला जो सफ़ीना किसी लंगर से नहीं था....
28. बहरे हज़ज मुसम्मन अख़रब मक़्फूफ़ मक़्फूफ़ मुख़न्नक सालिम
28. बहरे हज़ज मुसम्मन अख़रब मक़्फूफ़ मक़्फूफ़ मुख़न्नक सालिम
मफ़ऊल मुफ़ाईलुन मफ़ऊल मुफ़ाईलुन
221 1222 221 1222
हम दोनों मुसाफ़िर हैं इस रेत के दरिया के उनवाने-ख़ुदा दे कर तनहा न करो मुझ को...
29. बहरे हज़ज मुसम्मन अशतर मक़्फूफ़ मक़्बूज़ मुख़न्नक सालिम
29. बहरे हज़ज मुसम्मन अशतर मक़्फूफ़ मक़्बूज़ मुख़न्नक सालिम
फ़ाइलुन मुफ़ाईलुन फ़ाइलुन मुफ़ाईलुन
212 1222 212 1222
ख़ूब थी वो मक़्क़ारी ख़ूब ये छलावा है वो भी क्या तमाशा था ये भी क्या तमाशा है...
30. बहरे हज़ज मुसम्मन अशतर मक़्बूज़, मक़्बूज़, मक़्बूज़
31. बहरे हज़ज मुसम्मन मक़्बूज़
32बहरे हज़ज मुसम्मन सालिम
30. बहरे हज़ज मुसम्मन अशतर मक़्बूज़, मक़्बूज़, मक़्बूज़
फ़ाइलुन मुफ़ाइलुन मुफ़ाइलुन मुफ़ाइलुन
212 1212 1212 1212
लुट गये ख़ज़ाने और गुन्हगार कोइ नईं दोष किस को दीजिये जवाबदार कोई नईं ..
31. बहरे हज़ज मुसम्मन मक़्बूज़
मुफ़ाइलुन मुफ़ाइलुन मुफ़ाइलुन मुफ़ाइलुन
1212 1212 1212 1212
गिरफ़्त ही सियाहियों को बोलना सिखाती है वगरना छूट मिलते ही क़लम बहकने लगते हैं.....
32बहरे हज़ज मुसम्मन सालिम
मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन मुफ़ाईलुन
1222 1222 1222 1222
मुझे पहले यूँ लगता था करिश्मा चाहिये मुझ को मगर अब जा के समझा हूँ क़रीना चाहिये मुझको....